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आर्ट इंटिग्रेटेड प्रोजेक्ट

विषय :- हिंदी
कक्षा :- “10वीं”
अनुभाग :- ‘अ’
ग्रुप नं:- ‘3’
सलाहकार अध्यापक :- ‘अनुराधा मेम’
ग्रुप के सदस्य :- 1.ध्रुव
2.हर्षित मोंगा
3.अमन यादव
4.लवप्रीत सिंह
5.धीरज सैनी
तेलंगाना
तेलंगाना
तेलंगाना
तेलंगाना भारत के आन्ध्र प्रदेश राज्य से अलग होकर बना भारत का २९वाँ राज्य है। हैदराबाद को
दस साल के लिए तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी बनाया जाएगा। यह परतन्त्र भारत
के हैदराबाद नामक राजवाडे के तेलुगूभाषी क्षेत्रों से मिलकर बना है। 'तेलंगाना' शब्द का अर्थ है -
'तेलुगूभाषियों की भूमि'। 5 दिसम्बर 2013 को मंत्रिसमूह द्वारा बनाये गए ड्राफ्ट बिल को
कै बिनेट ने मंजूरी दे दी। 18 फ़रवरी 2014 को तेलंगाना बिल लोक सभा से पास हो गया तथा
दो दिन पश्चात इसे राज्य सभा से भी मंजूरी मिल गयी। राष्ट्रपति के दस्तखत के साथ तेलंगाना
औपचारिक तौर पर भारत का 29वां राज्य बन गया है। हालाँकि लोक सभा से इस विधेयक को
पारित कराते समय आशंकित हंगामे के चलते लोकसभा-टेलिविज़न का प्रसारण रोकना पड़ा था।
तेलंगाना का
इतिहास
तेलंगाना का इतिहास
आज जिस तेलंगाना का नाम लिया जा रहा  है वह कभी हैदराबाद प्रांत का हिस्सा था, जिसका 17 सितंबर 1948 को भारत
संघ में विलय हो गया. कें द्र सरकार ने नौकरशाह एमके वेल्लोडी को 26 जनवरी 1950 को हैदराबाद प्रांत का प्रथम मुख्यमंत्री
नियुक्त किया. 1952 में पहले लोकतांत्रिक चुनाव में हैदराबाद राज्य को बुरगुला रामाकृ ष्ण राव  के रूप में पहले निर्वाचित
मुख्यमंत्री मिला.
आंध्र पहला राज्य था जिसे मद्रास प्रांत से भाषाई आधार पर अलग कर 1 नवंबर 1953 को गठित किया गया. नए राज्य के गठन
की मांग को लेकर 53 दिनों तक आमरण अनशन पर बैठे पोट्टी श्रीमालु की मृत्यु के बाद इसका गठन हुआ था जिसकी राजधानी
कनरूल शहर था. यह रॉयलसीमा क्षेत्र में पड़ता है.
कें द्र में हैदराबाद प्रांत को आंध्र राज्य में मिलाने का प्रस्ताव 1953 में पेश किया गया. उस दौरान हैदराबाद प्रांत के तत्कालीन
मुख्यमंत्री बरगुला रामकृ ष्ण राव ने इस सिलसिले में कांग्रेस कें द्रीय नेतृत्व के फै सले का पूरा समर्थन किया, लेकिन तेलंगाना क्षेत्र के
लोग इस फै सले का विरोध कर रहे थे. लेकिन बाद में विलय प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए आंध्र विधानसभा ने 25 नवंबर 1955
को तेलंगाना के हितों की सुरक्षा करने के लिए एक रेजलूशन को पास किया.
तेलंगाना के हितों की सुरक्षा करने के लिए 20 फरवरी 1956 को तेलंगाना नेताओं तथा आंध्र नेताओं के बीच एक समझौता हुआ
जिस पर बेजवाडा गोपाल रेड्डी और बरगुला रामकृ ष्ण राव ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किया. इसके बाद राज्य पुनर्गठन अधिनियम
के तहत हैदराबाद प्रांत को तेलगू भाषी क्षेत्र आंध्र में मिला दिया गया और 1 नवंबर 1956 को आंध्र प्रदेश राज्य बनाया गया
जिसकी राजधानी हैदराबाद प्रांत की तत्कालीन राजधानी हैदराबाद शहर को बनाया गया.
आंध्र प्रदेश राज्य के निर्माण के बाद तेलंगाना क्षेत्र में 1969 में एक आंदोलन शुरु हुआ. उस्मानिया यूनिवर्सिटी के छात्रों
ने अलग राज्य के आंदोलन का बिगुल बजाया. यह आंनदोलन समझौते को लागू करने और अन्य सुरक्षाओं को उपयुक्त
रुप से लागू करने में नाकामी को लेकर किया गया था. उस समय मारी चन्ना रेड्डी ने तेलंगाना प्रजा समिति गठित कर
अलग राज्य के गठन का समर्थन किया. आंदोलन ने जोर पकड़ा और हिंसक हो गया जिसमे करीब 300 लोग पुलिस की
गोलीबारी और हिंसा में मारे गए.
इसके बाद दोनों क्षेत्रों के नेताओं के बीच कई दौर की वार्ता हुई. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 12 अप्रैल 1969
को एक आठ सूत्री योजना पेश की. लेकिन तेलंगाना के नेताओं ने योजना को खारिज कर दिया और तेलंगाना प्रजा
समिति के तहत आंदोलन जारी रखने की घोषणा की. तेलंगाना संघर्ष को देखते हुए इसके विरोध में आंध्र-रॉयलसीमा क्षेत्र
में 1972 में ‘जय आंध्र’ आंदोलन शुरु हुआ. 21 सितंबर 1973 को कें द्र के साथ एक राजनीतिक समझौता हुआ और
दोनों क्षेत्रों के लोगों को शांत करने के लिए छह सूत्री नियम को पेश किया गया.
1985 में तेलंगाना क्षेत्र के कर्मचारियों ने सरकारी विभागों में नियुक्तियों को लेकर हंगामा किया और क्षेत्र के लोगों के साथ
हुए अन्याय के बारे में शिकायत की. यह माममा इतना पढ़ा कि तत्कालीन तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) में सरकार का
नेतृत्व कर रहे एनटी रामाराव ने सरकारी नौकरियों में तेलंगाना के लोगों के हितों की सुरक्षा के लिए एक सरकारी आदेश
जारी किया.
सबकु छ सही चल रहा था लेकिन 1999 में कांग्रेस ने अलग तेलंगाना राज्य के गठन की मांग कर दी.
उस समय कांग्रेस को राज्य विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बार-बार हार का सामना करना पड़
रहा था. उधर तेलंगाना संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए या फिर कहे उस पर राजनीति करने के लिए 27
अप्रैल 2001 को तेलंगाना राष्ट्र समिति के नाम से नई पार्टी बनाई. जिसके नेता चंद्रशेखर राव थे.  इस
बीच तेलंगाना का मुद्दा उठाने वाली कांग्रेस को 2004 में राज्य और कें द्र दोनों जगह सत्ता में मिली
तथा टीआरएस दोनों स्थानों पर गठबंधन सरकार में शामिल हुई लेकिन 2006 में टीआरएस कें द्र से
अलग हो गई.
29 नवंबर 2009 को चंद्रशेखर राव के नेतृत्व में टीआरएस ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरु
करते हुए तेलंगाना के गठन की मांग की. कें द्र सरकार पर बढ़ते दबाव के चलते 3 फरवरी 2010 को
पूर्व न्यायाधीश श्रीकृ ष्ण के नेतृत्व में पांच सदस्यीय एक समिति का गठन किया. समिति ने 30 दिसंबर
2010 को अपनी रिपोर्ट कें द्र को सौंप दी. इसके बाद भी कें द्र तेलंगाना के गठन के लिए गंभीर नहीं
हुई.
आखिरकार तेलंगाना में भारी विरोध और चुनावी दबाव के चलते 3 अक्टू बर 2013 को कें द्रीय
मंत्रिमंडल ने पृथक तेलंगाना राज्य के गठन को मंजूरी दे दी.
तेलंगाना लोक नृत्य
तेलंगाना लोक नृत्य
तेलंगाना राज्य का बोनालु नृत्य।
तेलंगाना में लोक देवी महाकाली की वार्षिक पूजा को प्रस्तुत
करता है यह नृत्य प्रकार आषाढ़ महीने में अर्थात जुलाई /
अगस्त में मनाया जाता है। त्योहार के पहले और अन्तिम दिन
येलम्मा के लिए विशेष पूजाएं की जाती हैं। मन्नत पूर्ति के लिए देवी
को धन्यवाद करने के लिए यह उत्सव मनाया जाता है।
तेलंगाना की
संस्कृ ति
तेलंगाना की संस्कृ ति
तेलंगाना के भारतीय राज्य में लगभग 5,000 वर्षों का सांस्कृ तिक इतिहास है। हिन्दू काकातिया वंश
और मुस्लिम कु तुब शाही और आसफ़ जाही राजवंश (जिसे हैदराबाद के निज़ाम भी कहा जाता है) के
शासन के दौरान यह क्षेत्र भारतीय उपमहाद्वीप में संस्कृ ति का सबसे प्रमुख कें द्र के रूप में उभरा।
शासकों के संरक्षण और कला और संस्कृ ति के लिए रुचि ने तेलंगाना को एक अद्वितीय बहु-सांस्कृ तिक
क्षेत्र में बदल दिया जहां दो अलग-अलग संस्कृ तियां एक साथ मिलती हैं, इस प्रकार तेलंगाना को दक्कन
पठार के प्रतिनिधि और वारंगल और हैदराबाद के साथ इसकी विरासत बनाते हैं। मनाए गए क्षेत्रों की
प्रमुख सांस्कृ तिक घटनाएं " ककातिया महोत्सव" और दक्कन महोत्सव हैं, धार्मिक त्यौहारों के साथ
बोनालू , बाथुकम्मा , दशहरा , उगादी , संक्रांति , मिलद अन नबी और रमजान। तेलंगाना राज्य लंबे
समय से विभिन्न भाषाओं और संस्कृ तियों के लिए एक बैठक स्थान रहा है। इसे "दक्षिण के दक्षिण और
दक्षिण के उत्तर" के रूप में जाना जाता है।  यह अपने गंगा-जमुना तहसीब के लिए भी जाना जाता है
और राजधानी हैदराबाद को लघु भारत के रूप में जाना जाता है।
तेलंगाना की धर्म
और भाषा
धर्म और भाषा
तेलंगाना की जनसंख्या 84% हिन्दू, 12.4% मुस्लिम और 3.2% सिक्ख, ईसाई
और अन्य धर्म के अनुयायी हैं। तेलंगाना की 76% लोग तेलगु बोलते हैं। 12% लोग
उर्दू तथा 12% लोग अन्य भाषाएं बोलते हैं। तेलंगाना भारत, दक्षिणी भारत में स्थित
29 राज्यों में से एक है। जून 2014 में आंध्र प्रदेश, संयुक्त राज्य के उत्तर-पश्चिमी
भाग से, भारत में सबसे छोटे राज्य के रूप में गठित तेलंगाना क्षेत्र 112,077 वर्ग
किलोमीटर (43,273 वर्ग मील), और 35,193,978 (2011 जनगणना) की
आबादी है। यह बारहवें सबसे बड़ा राज्य भारत में है, और बारहवें राज्य भारत में सबसे
अधिक आबादी वाले। प्रमुख शहर हैदराबाद, वारंगल, खम्मम, करीमनगर और
निजामाबाद शामिल हैं।
तेलंगाना में महाराष्ट्र के राज्य छत्तीसगढ़ के उत्तर, पश्चिम के लिए कर्नाटक
और आंध्र प्रदेश के पूर्व और दक्षिण के लिए उत्तर और उत्तर पश्चिम, द्वारा
bordered है। तेलंगाना हैदराबाद, हैदराबाद के निज़ाम के शासन का
राजसी राज्य के तेलुगू-भाषी क्षेत्र के रूप में एक इतिहास था। यह 1948 में
भारतीय संघ में शामिल हो गए। 1956 में हैदराबाद राज्य भंग के रूप में
भाषायी आधार पर पुनर्गठन के राज्य और तेलंगाना का हिस्सा प्रपत्र आंध्र
प्रदेश के पूर्व आंध्र प्रदेश के साथ विलय हो गया। विभाजन के लिए एक
आंदोलन के बाद, तेलंगाना 2 जून 2014 को अलग राज्य का दर्जा से
सम्मानित किया गया। हैदराबाद आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए अधिक से
अधिक दस साल के लिए संयुक्त राजधानी के रूप में सेवा करने के लिए जारी
रहेगा।
तेलंगाना
धन्यवाद..
विषय :- हिंदी ग्रुप के सदस्य :- 1.ध्रुव
कक्षा :- “10वीं” 2.हर्षित मोंगा
अनुभाग :- ‘अ’ 3.अमन यादव
ग्रुप नं:- ‘3’ 4.लवप्रीत सिंह
5.धीरज सैनी

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