Van Ke Maarg Mein

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वसंत भाग 1

कक्षा 6
पाठ 16
वन के मार्ग में
- तुलसीदास -
जन्म : 1532, राजपरु , उत्तर प्रदे श
मत्ृ यु : 1623

गोस्वामी तल
ु सीदास भक्ति काल की रामभक्ति
शाखा के महान संत कवि थे।

उन्होंने संस्कृत और अवधी में कई ग्रंथों की


रचना की किंतु वे ‘रामचरितमानस’ महाकाव्य के
रचयिता के रूप में अधिक जाने जाते हैं ।

रामचरितमानस के अतिरिक्त तल ु सीदास ने


पाँच प्रमख
ु रचनाएँ की –
दोहावली, कवितावली, गीतावली, कृष्ण गीतावली
और विनय पत्रिका
प्रस्तुत कविता गोस्वामी तुलसीदास की रचना ‘कवितावली’ से ली गई है जो ब्रज भाषा में लिखी गई है I
प्रसंग :
श्रीराम को चौदह वर्ष का वनवास मिला था I उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी उनके साथ वन जाने के लिए
तैयार हुए I सीता महलों में रहने वाली राजकु मारी थी I वन का कठिन मार्ग और विषमताओं से भरा जीवन उनके
लिए आसान न था I फिर भी राम के प्रति अपने प्रेम के कारण वे उनके साथ निकल पड़ीं I इस प्रकार राम ,
लक्ष्मण और सीता महल से निकल पड़े I
16. वन के मार्ग में सवैया
16. वन के मार्ग में

पुर तें – from the city निकसी – came out


रघुवीर वधू – Sriram’s wife Sita धरि – keep
धीर – courage
दए – kept मग – way डग – steps झलकीं –
appear
भाल – forehead कनी- drops
पुट – lips मधुराधर – soft lips
बूझति –asked के तिक – how far पर्नकु टी –hut
करिहौं – make कित – where तिय – wife
लखि – see आतुरता – restlessness
पिय –beloved चारु – beautiful
सारांश

श्रीराम की पत्नी सीता नगर से वन के मार्ग पर बहुत धैर्य के साथ निकलीं I वन के कठिन मार्ग
पर दो कदम अर्थात कु छ दूर चलते ही वे थक गईं I उनके माथे पर पसीने की बूँदें झलकने लगीं
I उनके मधुर होंठ सूख गए I वे व्याकु ल होकर श्रीराम से पूछने लगीं कि अब कितनी दूर और
चलना है और पर्णकु टी कहाँ बनाएँगे I अपनी प्रिय पत्नी की यह व्याकु लता देखकर श्रीराम की
सुंदर आँखों से आँसू बहने लगे I
सवैया
लरिका – boy परिखौ – wait छाँह – shade
घरीक – for a while ठाढ़े – stand
पसेऊ – sweat बयारि – air
पखारिहौं – wash भूभुरि – hot sand
श्रम – tired विलंब – for long कं टक –
thorn काढ़े – remove नेह – love
लख्यौ – to see पुलको – happy
तनु – body बारि – tears
बिलोचन – eyes बाढ़े – rolled out
सारांश

सीता श्रीराम से कहती हैं कि लक्ष्मण तो जल लाने गए हैं , वे तो लड़के हैं इसलिए उन्हें
समय लग जाएगा I उनके आने तक आप छाया में कु छ देर खड़े होकर उनकी प्रतीक्षा
कर लीजिए I मैं आपके पसीने को पोंछ कर हवा कर देती हूँ ;गरम रेत से तपे चरणों को
भी धो देती हूँ I

तुलसीदास कहते हैं कि अपनी पत्नी के ऐसे वचनों को सुनकर और सीता जी की थकान
देखकर श्रीराम पेड़ की छाया में बैठ गए I वे बहुत देर तक बैठकर सीता जी के पैरों से
काँटे निकालते रहे I अपने प्रति श्रीराम के इस प्रेम को देखकर सीता का शरीर पुलकित
हो गया और उनकी आँखों से आँसू बहने लगे I
पुनरावृत्ति
• नगर से बाहर दो कदम चलते ही सीता की क्या दशा हुई ?
नगर से बाहर दो कदम चलते ही सीता के माथे से पसीना झलकने लगा और
मधुर होंठ सूख गए I
• सीता ने श्रीराम से क्या पूछा ?
सीता ने श्रीराम से पूछा कि अब कितनी दूर चलना है और पर्नकु टी कहाँ
बनाइएगा I
• पानी लेने कौन गया था ?
• लक्ष्मण
• श्रीराम ने सीता की थकान दूर करने लिए क्या किया ?
श्रीराम ने थकी हुई सीता के पैरों से देर तक काँटे निकाले ताकि उन्हें
आराम मिल सके और उनकी थकान दूर हो जाए I
गतिविधि : कविता लेखन

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