Samas 01

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समास का तात्पर्य

समास शब्द का अर्थ है –


संक्षिप्त करने की विधि ।
समास की परिभाषा
दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन
एवं सार्थक शब्द
को समास (Samas) कहते हैं।
समास का उदाहरण
कमल के सामान चरण : चरणकमल
रसोई के लिए घर : रसोईघर
घोड़े पर सवार : घुड़सवार
देश का भक्त : देशभक्त
राजा का पुत्र : राजपुत्र आदि।
समास के अन्य नाम

समास के नियमों से निर्मित शब्द


सामासिक शब्द (Samasik Shabd) कहलाता है।
इसे हम समस्त पद (Samast Pad) भी कहते हैं।
पूर्वपद एवं उत्तरपद

सामासिक शब्द के पहले पद को


पूर्व पद कहते हैं एवं
दूसरे या आखिरी पद को उत्तर पद कहते हैं।
समास के भेद
हिंदी में समास के 6 (छह) भेद हैं :
(1) अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas)
(2) तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas)
(3) कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas)
(4) द्विगु समास (Dvigu Samas)
(5) द्वंद्व समास (Dvandva Samas)
(6) बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas)
अव्ययीभाव समास
परिभाषा - जिस समास का पहला पद (पूर्वपद)
अव्यय तथा प्रधान हो, उसे अव्ययीभाव
समास कहते हैं,
जैसे - पहला पद अनु, आ, प्रति, भर,
तथा,यथा, हर, प्र आदि होते है।
अव्ययीभाव समास
उदाहरण:-
पूर्वपद उत्तरपद समस्त पद समास विग्रह
आ + जन्म = आजन्म - जन्म पर्यन्त
यथा + अवधि = यथावधि - अवधि के अनुसार
यथा + क्रम = यथाक्रम - क्रम के अनुसार
प्रति + दिन = प्रतिदिन - प्रत्येक दिन
नि + डर = निडर - बिना डर के
तत्पुरुष समास
परिभाषा - जिस समास में उत्तरपद प्रधान होता है
एवं पूर्वपद गौण होता है वह समास तत्पुरुष समास कहलाता है। जैसे:-
धर्म का ग्रन्थ : धर्मग्रन्थ
राजा का कु मार : राजकु मार
तुलसीदासकृ त : तुलसीदास द्वारा कृ त
तत्पुरुष समास के प्रकार
1. कर्म तत्पुरुष : ‘को’ के लोप से यह समास बनता है। जैसे: ग्रंथकार : ग्रन्थ को लिखने
वाला।

2. करण तत्पुरुष : ‘से’ और ‘के द्वारा’ के लोप से यह समास बनता है।जैसे:


वाल्मिकिरचित : वाल्मीकि के द्वारा रचित।
तत्पुरुष समास के प्रकार
3. सम्प्रदान तत्पुरुष : ‘के लिए’ का लोप होने से यह समास बनता है। जैसे:
सत्याग्रह : सत्य के लिए आग्रह ।
4. अपादान तत्पुरुष : ‘से’ का लोप होने से यह समास बनता है। जैसे: पथभ्रष्ट:
पथ से भ्रष्ट ।
तत्पुरुष समास के प्रकार
5. सम्बन्ध तत्पुरुष : ‘का’, ‘के ’, ‘की’ आदि का लोप होने से यह समास बनता
है। जैसे: राजसभा : राजा की सभा
6. अधिकरण तत्पुरुष : ‘में’ और ‘पर’ का लोप होने से यह समास बनता है।
जैसे: जलसमाधि : जल में समाधि
कर्मधारय समास
परिभाषा - वह समास जिसका पहला पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य
होता है,
अथवा पहला पद उपमान एवं दूसरा उपमेय होता है, उसे कर्मधारय समास
कहते हैं।
पहचान : है जो, के साथ, के समान, के रूपी, की-सी, गुणों की चर्चा,
तुलना आदि।
कर्मधारय समास
उदाहरण -
चरणकमल = कमल के समान चरण
नीलगगन = नीला है जो गगन
चन्द्रमुख = चन्द्र जैसा मुख
देहलता = देह रूपी लता
कनकलता = कनक की सी लता
द्विगु समास
परिभाषा - वह समास जिसका पूर्व पद संख्यावाचक विशेषण होता है तथा
समस्तपद समाहार या समूह का बोध कराए, उसे द्विगु समास कहते हैं।
जैसे:-
दोपहर : दो पहरों का समाहार
सप्ताह : सात दिनों का समूह
द्विगु समास
उदाहरण -
नवग्रह = नौ ग्रहों का समूह
दोपहर = दो पहरों का समाहार
त्रिवेणी = तीन वेणियों का समूह
शताब्दी = सौ अब्दों का समूह
सतसई = सात सौ पदों का समूह
त्रिकोण = तीन कोणों का समाहार
तिरंगा = तीन रंगों का समूह
द्वंद समास
परिभाषा - जिस समस्त-पद के दोनों पद प्रधान हो तथा विग्रह करने पर
'और', 'एवं', 'या', 'अथवा' लगता हो वह द्वंद समास कहलाता है।
जैसे:-
अपना-पराया = अपना या पराया
पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
द्वंद समास
उदाहरण -
ऊँ च-नीच = ऊँ च और नीच
देश-विदेश = देश और विदेश
ठंडा-गर्म = ठंडा या गर्म
माता-पिता = माता और पिता
दिन-रात = दिन और रात
भाई-बहन = भाई और बहन
बहुव्रीहि समास
परिभाषा - जिस समस्त-पद में कोई पद प्रधान नहीं होता, दोनों पद
मिलकर किसी तीसरे पद की ओर संके त करते हैं, उन्हें बहुव्रीहि समास
होता है।
जैसे:- नीलकं ठ', नीला है कं ठ जिसका अर्थात्
शिव।
बहुव्रीहि समास
उदाहरण :
समस्त-पद - विग्रह
लंबोदर - लंबा है उदर जिसका - (गणेश)
दशानन - दस है आनन जिसके - (रावण)
चतुर्भुज - चार हैं भुजाएं जिसकी (विष्णु)
चतुर्मुख - चार हैं मुख जिसके (ब्रह्म)
पंकज - पंक में पैदा हो जो - (कमल)
घनश्याम - घन के समान श्याम है जो - (कृ ष्णा) मृत्युंजय - मृत्यु को जीतने वाला -
(शंकर)

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