Hindi Gadya Khand

You might also like

Download as pptx, pdf, or txt
Download as pptx, pdf, or txt
You are on page 1of 8

हिंदी- गद्य खंड

हिंदी के कहानी अध्याय


1. दुःख का अधिकार
विषय
2. एवेरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा
सूची 3. तुम कब जाओगे अतिथि
4. वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रमन
5. शुक्रतारे के सामान
दुःख का अधिकार
इस पाठ का शीर्षक'दु:ख का अधिकार'पूरी तरह से सार्थक सिद्ध होता है क्योंकि यह अभिव्यक्त करता है कि
दु:ख प्रकट करने का अधिकार व्यक्ति की परिस्थिति के अनुसार होता है। यद्यपि दु:ख का अधिकार सभी को
है। गरीब बुढ़िया और संभ्रांत महिला दोनों का दुख एक समान ही था। दोनों के पुत्रों की मृत्यु हो गई थी परन्तु
संभ्रांत महिला के पास सहूलियतें थीं,समय था। इसलिए वह दु:ख मना सकी परन्तु बुढ़िया गरीब थी,भूख से
बिलखते बच्चों के लिए पैसा कमाने के लिए निकलना था। उसके पास न सहूलियतें थीं न समय। वह दु:खन मना
सकी। उसे दु:ख मनाने का अधिकार नहीं था। इसलिए शीर्षक पूरी तरह सार्थक प्रतीत होता है।

• लेखक स्वयं, जो सहानुभूति होते हुए भी • भगवाना की बूढ़ी माँ, जिसने सांप के काटने से अपना
फु टपाथ पर बैठी भुड़िया के आंसू न पोंछ सके , जवान बेटा खो दिया । बहू और बच्चों की देखभाल के लिए
पोशाक ने व्यवधान डाला खरबूजे बेचने को विवश ।

मुख्य पात्र
• पुत्र वियोगिनी संभ्रांत महिला, जो ढ़ाई मास तक पलंग से न • पड़ोस के दुकानदार तथा वहां खड़े अन्य लोग, जो उस
उठ सकी । डॉक्टर उसके सिरहाने बैठे रहते थे । शहर भर के बेबस, लाचार और गरीब भुड़िया को अपशब्द कह रहे थे
लोग सहानुभूति जता रहे थे तथा तने मर रहे थे ।
एवेरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा

कैं प कि सांख्य एवं उनका बछेंद्री पाल की विशेषताएँ


पात्र उदेश्य
उपयोग
 साहसी
 बचंदरी पाल  दृढ़ निश्चय  महिला सशक्तिकरण की
  बेस कैं प
कर्नल खुल्लर  सहयोगी प्रेरणा
  कैं प एक  लक्ष्य के प्रति समर्पण
उपनेता प्रेमचंद  धार्मिक प्रवृत्ति
  कैं प दो
जय  माता-पिता और बड़ों के की भावना
  कैं प तीन
मीनू प्रति सम्मान
  कैं प चार
बिस्सा
  शिखर कैं प
की
तुम कब जाओगे अतिथि
कहानी के पात्र : लेखक, लेखक की पत्नी और अनचाहा मेहमान।
कहानी की मुख्य घटनाएँ: अतिथि का आगमन, उसके साथ कै सा व्यवहार किया
लेखक शरद जोशी कहानी के पात्र
गया, अतिथि के आगमन पर लेखक और उसकी पत्नी को क्या-क्या परेशानियाँ
उठानी पड़ीं।
तुम कब जाओगे भाव परिवर्तन : पहले देवता समझा और बाद में यही सोचा कि वह कब
अतिथि जायेगासंदेश: आतिथ्य सत्कार एक बहुत ही महत्वपूर्ण गुण है लेकिन किसी भी
चीज़ की अधिकता आतिथ्य सत्कार को भी संकट में डाल देती है।
भाव परिवर्तन कहानी की मुख्य घटनाएँ
शुक्रतारे के सामान
शुक्रतारे के समान' पाठ गांधी जी के सहायक श्री महादेव जी की जीवनी पर आधारित है। महादेव जी एक
प्रतिभाशाली व्यक्ति थे। इन्होंने वकालत तक की शिक्षा ग्रहण की थी। सरकारी नौकरी में भी कु छ समय तक मन
लगाया परन्तु बाद में उसे भी छोड़ दिया। कु छ समय पश्चात इन्होंने साहित्य की तरफ़ अपना ध्यान लगाया और
टैगोर जी की रचनाओं का अनुवाद भी किया। महादेव जी के अन्दर सरलता, निष्ठा, समर्पण, सज्जनता, महादेव जी का संपर्क गांधी जी से
निरभिमान और मेहनती इत्यादि गुण कू ट-कू टकर भरे हुए थे। इनके बिना गांधी जी की कल्पना करना संभव नहीं लेखक परिचय
होने
था। गांधी जी के साथ व सेवा को इन्होंने अपना उद्देश्य बना लिया और स्वयं कभी विवाह नहीं किया। यह इतने
प्रतिभाशाली व्यक्ति थे कि गांधी जी द्वारा दिए गए भाषणों, चर्चाओं, मुलाकातों, वार्तालापों, प्रार्थना-प्रवचन और
टिप्पणियों आदि को जेट की सी गति से लिखते थे, वह भी शॉटहैंड में नहीं ब्लकि लंबी व सुन्दर लिखावट के
साथ पर मजाल हो एक शब्द या पंक्ति उनसे छू ट जाए। गांधी जी के लेख या पत्र भी इनकी लिखाई में जाया शुक्रतारे के सामान
करते थे। इनके इन्हीं गुणों के कारण गांधी जी ने इन्हें अपना वारिस घोषित किया था। यह गांधी जी के साथ हर
समय उपस्थित रहते थे। इतनी व्यस्तताओं के बावजूद वह 'यंग-इंडिया' व 'नवजीवन' के लिए लेख भी लिखते
थे। गांधी जी की आत्मकथा का इन्होंने ही अंग्रेजी में अनुवाद किया था। अत्यधिक मेहनत व मीलों पैदल चलकर
आना-जाना इनकी अकाल मृत्यु का कारण बना। इनकी मृत्यु का दर्द गांधी जी के साथ सदैव रहा। इनके इन गांधी जी के निजी सचिव महादेव जी समाचार-पात्रों के बीच
गुणों ने लेखक को उन्हें 'शुक्र तारे' के समान चमकीला माना है, जिसकी आभा संसार को मुग्ध कर देती है। महादेव जी लोक प्रिय होने
क्या आपका कोई प्रश्न है?

धन्यवाद
CREDITS: This presentation template was
created by Slidesgo, and includes icons by
Flaticon, and infographics & images by
Freepik

You might also like