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पढ़ना क्या है?

पढ़ना क्या है?

लिखित सामग्री से अर्थ ग्रहण करना


বানর অন্যকে জ্বালাতন করতে খুব মজা পেত

क्या आप इन शब्दों को पढ़ पायेंगे या डिकोड कर पाएंगे?


इसे पढ़ें

काइला सिले सदगल पूरी कोरची तै से बालू दारी

आप शायद इन शब्दों को पढ़ पाए या डिकोड कर पाए,


पर आप बता पाएंगे कि आपने क्या समझा?
इसे पढ़ते हैं

नाहस सहसा कम चारण रहे हैं. सहसा से हमें हर तरह के ककत


मिलते हैं. नाहस तमाया आ गया है. लोग तमाया से ऐसे ककत लेने
लगे हैं. तमाया आया, और फिर ककोलत आया. अब चारो ओर
ककोलत चारण रहे हैं.
पूरा पाठ

आजकल अख़बार कम बिक रहे हैं. अख़बार से हमें हर तरह के समाचार


मिलते हैं. आजकल इन्टरनेट आ गया है. लोग इन्टरनेट से ऐसे समाचार लेने
लगे हैं. इन्टरनेट आया, और फिर मोबाइल आया. अब चारो ओर मोबाइल
बिक रहे हैं.
किसी पाठ पर आपकी समझ दो बातों के संतुलन पर निर्भर करती है

शब्द भाषायी
पहचान समझ
पढ़कर समझना

शब्द पहचान भाषा की समझ पढ़कर समझना

• ध्वनि चेतना
• वाक्य-बनावट
• प्रिंट की अवधारणा
• शब्दावली
• वर्ण ज्ञान
• पूर्व अनुभव
• शब्द बनाने की जानकारी
इसको पढने का प्रयास करते हैं

तनु घर से बाहर आई. ऐसा लगा कि वह किसी का


इंतजार कर रही थी. थोड़ी बेचैन थी मगर उसकी आँखों
में गजब-सी उत्सुकता थी. सामने सड़क पर कई लोग
आ जा रहे थे. कु छ लोग तो तेजी से भाग रहे थे.
दादाजी ने पीछे से आवाज लगाई, “ तनु, अन्दर आ
जाओ.” मगर तनु बिल्कु ल अन्दर आने के मूड में नहीं
थी.
अपना अनुभव बतायें

• आपने कितने समय में इस पाठ को पढ़ा?


• क्या आपको इसे पढ़ने में दिक्कत महसूस हुई?
• क्या आप इसे पूरी तरह समझ पाए?
अब कोशिश करें

तनु घर से बाहर आई. ऐसा लगा कि वह किसी का


इंतजार कर रही थी. थोड़ी बेचैन थी मगर उसकी आँखों
में गजब-सी उत्सुकता थी. सामने सड़क पर कई लोग
आ जा रहे थे. कु छ लोग तो तेजी से भाग रहे थे.
दादाजी ने पीछे से आवाज लगाई, “ तनु, अन्दर आ
जाओ.” मगर तनु बिल्कु ल अन्दर आने के मूड में नहीं
थी.
अब बताएं

• आपने इसे पूरा पढ़ा?


• आपको पढ़ने में कोई कठिनाई हुई?
• क्या आप इसे समझ पाए?
शब्द पहचान

पढ़कर समझने में शब्द पहचान की प्रक्रिया धाराप्रवाह होनी चाहिए| अगर यह प्रकिया बाधित है,
तो आप निम्लिखित कर रहे होते हैं:

• धीमी गति से पढ़ते हैं क्योंकि शब्द-दर-शब्द पढ़ते हैं|


• ध्यान मुख्य रूप से डिकोडिंग पर रहता है और पढ़ कर समझते नजर नहीं आते|
• अपने आप सुधार नहीं कर पाते|
• विराम चिन्हों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं|
• बहुत कम उतार-चढ़ाव व हाव-भाव के साथ पढ़ते हैं|

इसलिए शब्द पहचान इतना स्वचालित होना चाहिए कि पाठक का ध्यान पाठ से अर्थ निर्माण पर हो ना कि
सिर्फ डिकोड करने पर|
अगर आप किसी पाठ को पढ़ लेते हैं पर उससे अपने अनुभव नहीं जोड़ पाते, तो
उसे समझना काफी मुश्किल कार्य है. संभव है, आप उसे पढ़ना छोड़ दें.

पढ़कर समझने के लिए अच्छी डिकोडिंग कौशल के साथ-साथ शब्दावली, वाक्य-


विन्यास, सांसारिक ज्ञान और अर्थ निर्माण के कौशल जरूरी हैं. ये सभी मौखिक
क्रियाएँ हैं.
पढ़कर समझना
पढ़कर समझने में कई कौशल एक साथ काम कर रहे होते हैं.
• वर्ण और ध्‍वनि के सहसम्‍बन्‍ध को जानना,
• गति से और सही डिकोडिंग करना,
• शब्‍दों के अर्थ को जानना,
• अपने पूर्व ज्ञान को इस्‍तेमाल करना अथवा
• पाठ को अपने अनुभवों से जोड़ पाना,
• अनुमान लगाना,
• दो वाक्यों को जोड़कर उससे अर्थ निकलना,
• निष्‍कर्ष निकालना, आदि
पढ़कर समझना

मौखिक भाषा पढ़कर समझने का आधार है| जो प्रक्रिया आप किसी बात को


सुनकर समझने के लिये अपनाते हैं, वही प्रक्रिया पढ़े गए पाठ को समझने के
लिए करना पड़ता है|
पढ़कर समझना
पढ़कर समझना हो या सुनकर समझना, इन दोनों में ‘समझने के लिए’ मस्तिष्क में एक खास हिस्सा ही
कार्य करता है
समझना
समझना सुनी या पढ़ी गई चीजों को याद कर लेना भर नहीं है| समझने के तीन
मुख्य स्तर हैं:
• तथ्य आधारित समझ
• अर्थ निर्माण (अनुमान, पूर्व अनुभव / ज्ञान, इत्यादि)
• रचनात्मक समझ (तर्क करना, निष्कर्ष निकलना, तुलना करना, इत्यादि)

बच्चों के साथ भरपूर सार्थक बातचीत उन्हें अर्थ निर्माण और समृद्ध समझ की ओर ले जाती है|
पढ़कर समझना

शब्द पहचान भाषा की समझ पढ़कर समझना

• ध्वनि चेतना
• वाक्य-बनावट
• प्रिंट की अवधारणा
• शब्दावली
• वर्ण ज्ञान
• पूर्व अनुभव
• शब्द बनाने की जानकारी
संतुलित भाषा शिक्षण
संतुलित भाषा शिक्षण आधारित चार खंडीय रूप-रेखा
• कक्षा में बातचीत • ध्वनि चेतना
• कविता, कहानी, खेल द्वारा भाषा विकास • वर्ण ज्ञान, वर्ण/ मात्रा जोड़ना-तोडना
• शब्द स्तर की गतिविधियाँ

मौखिक भाषा विकास डिकोडिंग/ शब्द पहचान

• शिक्षक द्वारा कहानी पढ़कर सुनाना


• शिक्षक एवं बच्चों द्वारा साझापठन पठन लेखन • लेखन के बुनियादी कौशल
• मार्गदर्शन में पठन और स्वतंत्र पठन • मौलिक/ समृद्ध लेखन
समेकन

• पढ़कर समझने के आधार ‘शब्द पहचान’ और ‘भाषाई कौशल’ हैं और शिक्षण में इनका संतुलन ज़रुरी है|
यही संतुलित भाषा शिक्षण है |
• धाराप्रवाह शब्द पहचान समझ के लिए आवश्यक है|
• पढ़कर समझना और सुनकर समझना में ‘समझने’ के लिए मष्तिष्क में एक ही यन्त्र काम करता है| इसलिए
मौखिक कौशल पढ़ना सीखने का आधार है|
• कक्षा में चारों खंडो पर काम होना चाहिए तभी सही मायने में बच्चे भाषा सीख सकते है |

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