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सत्र 2 -1 पढना क्या है और संतुलित भाषा शिक्षण
सत्र 2 -1 पढना क्या है और संतुलित भाषा शिक्षण
शब्द भाषायी
पहचान समझ
पढ़कर समझना
• ध्वनि चेतना
• वाक्य-बनावट
• प्रिंट की अवधारणा
• शब्दावली
• वर्ण ज्ञान
• पूर्व अनुभव
• शब्द बनाने की जानकारी
इसको पढने का प्रयास करते हैं
पढ़कर समझने में शब्द पहचान की प्रक्रिया धाराप्रवाह होनी चाहिए| अगर यह प्रकिया बाधित है,
तो आप निम्लिखित कर रहे होते हैं:
इसलिए शब्द पहचान इतना स्वचालित होना चाहिए कि पाठक का ध्यान पाठ से अर्थ निर्माण पर हो ना कि
सिर्फ डिकोड करने पर|
अगर आप किसी पाठ को पढ़ लेते हैं पर उससे अपने अनुभव नहीं जोड़ पाते, तो
उसे समझना काफी मुश्किल कार्य है. संभव है, आप उसे पढ़ना छोड़ दें.
बच्चों के साथ भरपूर सार्थक बातचीत उन्हें अर्थ निर्माण और समृद्ध समझ की ओर ले जाती है|
पढ़कर समझना
• ध्वनि चेतना
• वाक्य-बनावट
• प्रिंट की अवधारणा
• शब्दावली
• वर्ण ज्ञान
• पूर्व अनुभव
• शब्द बनाने की जानकारी
संतुलित भाषा शिक्षण
संतुलित भाषा शिक्षण आधारित चार खंडीय रूप-रेखा
• कक्षा में बातचीत • ध्वनि चेतना
• कविता, कहानी, खेल द्वारा भाषा विकास • वर्ण ज्ञान, वर्ण/ मात्रा जोड़ना-तोडना
• शब्द स्तर की गतिविधियाँ
• पढ़कर समझने के आधार ‘शब्द पहचान’ और ‘भाषाई कौशल’ हैं और शिक्षण में इनका संतुलन ज़रुरी है|
यही संतुलित भाषा शिक्षण है |
• धाराप्रवाह शब्द पहचान समझ के लिए आवश्यक है|
• पढ़कर समझना और सुनकर समझना में ‘समझने’ के लिए मष्तिष्क में एक ही यन्त्र काम करता है| इसलिए
मौखिक कौशल पढ़ना सीखने का आधार है|
• कक्षा में चारों खंडो पर काम होना चाहिए तभी सही मायने में बच्चे भाषा सीख सकते है |