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निद्रा
निद्रा
निद्रा
दोष :– कफ व तम
३. निद्रा उत्पत्ती
• यदा तु मनसि क्लान्ते कर्मात्मान: क्लमान्विता: ।
विषयेभ्यो निवर्तन्ते तदा स्वपिती मानव: ॥ (च.सू.२१/३५)
जब मन, शरीर, इन्द्रिय थके हुए होते है और स्वविषयो से अलग हो जाते है या अपने
विषयो ग्रहण नहि कर पाते तब मनुष्य को निद्रा आती है।
२. ह्रदयं चेतनास्थानमुक्तं सुश्रुत देहिनाम ।
तम अभिभूते तस्मिंस्तु निद्रा विशति देहिनम् ॥ सु.शा.४/३३
सुश्रुतानुसार हृदय यह चेतना का अधिष्ठान है। जब हृदय मे तम गुण का आवरण अधिक होता है तभी मनुष्य को
निद्रा आती है।
४. निद्रा प्रकार
चरक (६)
• “ तमोभवा श्लेष्मसमुद्भवा च मन: शरीरश्रमसम्भवा च।
आगन्तुकी व्याध्यनुवर्तिनी च रात्रीस्वभावप्रभवा च निद्रा॥ (च.सू. २१/५८)
४. आगन्तुकी ४.देहखेदजन्य
५. व्याध्यनुवर्तिनी ५.कफ़जन्य
६. रात्रिस्वभावप्रभवा ६.आगन्तुकी
७.तमोभवा
५. निद्रा महत्त्व
दोष वृध्दी क्षय लक्षणे व निद्रा
निद्रा – कफ़+ तम
तन्द्रा – वात + कफ़ + तम.