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प्राचीन शिक्षा केंद्र - Hindi Summer Project - Final
प्राचीन शिक्षा केंद्र - Hindi Summer Project - Final
विश्वविद्यालय
अंतर्वस्तु
• परिचय
• इतिहास
• पुस्तकालय
• पाठ्यक्रम
परिचय
वैदिक काल से ही भारत में शिक्षा को बहुत महत्व दिया गया है। इसलिए
उस काल से ही गुरुकु ल और आश्रमों के रूप में शिक्षा कें द्र खोले जाने
लगे थे।
वैदिक काल के बाद जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया। भारत की शिक्षा
पद्धति भी और ज्यादा पल्लवित होती गई।
इतिहास
• यह प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण और विख्यात के न्द्र था। यह
विश्वविद्यालय वर्तमान बिहार के पटना शहर से 88.5 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व और राजगीर
से 11.5 किलोमीटर में स्थित था।
• सातवीं शताब्दी में भारत भ्रमण के लिए आए चीनी यात्री ह्वेनसांग और इत्सिंग के यात्रा
विवरणों से इस विश्वविद्यालय के बारे में जानकारी मिलती है।
• कहा जाता है कि इसके संग्रह में सैकड़ों हजारों किताबें शामिल थीं।
• पुस्तकालय में तीन मुख्य भवन थे, रत्नसागर (गहने का सागर), रत्नोदधि (गहना
का सागर)
नालंदा विश्वविद्यालय
पाठ्यक्रम
सीखने के हर क्षेत्र से पाठ्यक्रम तैयार किए गए थे। छात्रों ने विज्ञान (Science), खगोल
विज्ञान (Astronomy), चिकित्सा (Medicine), तत्वमीमांसा (Metaphysics),
दर्शन (Philosophy), सांख्य (Samkhya), योग-शास्त्र (Yoga-Shastra), वेद
(Veda) और बौद्ध
धर्म के शास्त्रों (Scriptures of Buddhism) का अध्ययन किया।
नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ाए जाने वाले विषयों ने सीखने के हर क्षेत्र को कवर किया, और
इसने कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, फारस और तुर्की के विद्यार्थियों और
विद्वानों को आकर्षित किया।
धन्यवाद!