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राष्ट्रीय एकता एवं अंतर्राष्ट्रीय अवबोध
राष्ट्रीय एकता एवं अंतर्राष्ट्रीय अवबोध
राष्ट्रीय एकता एवं अंतर्राष्ट्रीय अवबोध
राष्ट्रीय एकता अथवा राष्ट्रीयता एक ऐसी भावना है जो किसी राष्ट्र के निवासियों को एकता
के सूत्र में बांधती है डॉ. संपूर्णानंद ने राष्ट्रीय एकता के संदर्भ में भावनात्मक एकता का
उल्लेख किया है उनके अनुसार भावनात्मक एकता की जो भावना है वहीं राष्ट्रीय एकता के
लिए निष्ठा राष्ट्रीय एकता का आधार है प्रत्येक व्यक्ति को अपने प्रदेश, अपने धर्म के प्रति
निष्ठा होती है परंतु एक निष्ठा और भी है जो सबसे ऊपर है वह हैं राष्ट्र के प्रति निष्ठा की
भावना। विभिन्न विद्वानों ने राष्ट्रीय एकता अथवा राष्ट्रीयता की भावना को विभिन्न प्रकार से
परिभाषित किया है|
राष्ट्रीय एकता की परिभाषाएं
• राष्ट्रीय एकता सम्मेलन के अनुसार– राष्ट्रीय एकता एक मनोवैज्ञानिक एवं शैक्षिक प्रक्रिया है
जिसके द्वारा लोगों के ह्रदय में एकता, संगठन एवं सन्निकटता की भावना, सामान्य
नागरिकता की भावना और राष्ट्र के प्रति भक्ति की भावना का विकास किया जाता है|
• कोठारी आयोग के अनुसार– राष्ट्रीय एकता अपने में राष्ट्रीय भविष्य में
विश्वास, उन्नत जीवन मूल्यों एवं कर्तव्यों की भावना, स्वच्छ प्रशासन
का विश्वास और पारंपरिक सदभाव सम्मिलित किए हुए हैं|
डॉ. जे. एस. बेदी के अनुसार– राष्ट्रीय एकता एक अर्थ है– देश के
विभिन्न राज्यों के व्यक्तियों की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृ तिक तथा
भाषा विषयक विभिन्नताओं को वांछनीय सीमा के अंतर्गत रखना और
उनमें भारत की एकता का समावेश करना।
राष्ट्रीय एकता एवं शिक्षा के उद्देश्य
प्राथमिक स्तर
•
विद्यार्थियों को राष्ट्रीय झण्डा, राष्ट्रीय गान, राष्ट्रीय प्रतीक, राष्ट्रीय फू ल, राष्ट्रीय पक्षी आदि का ज्ञान
कराना
• बालकों को राष्ट्रीय पर्व की जानकारी कराना
• राष्ट्र के महापुरुषों व संतों के विषय में सामान्य जानकारी कराना
• भारतीय धर्मों व समाज का सामान्य ज्ञान कराना
• समूह देश भक्ति गान की शिक्षा देना
• बाल दिवस, अध्यापक दिवस तथा महान व्यक्तियों के जन्मदिन पूर्ण सूची एवं उत्साह के साथ मनाना
• पाठ्यक्रम में लोकगीत व लोकनृत्यों को अनिवार्य करना
• बालकों को देश के विभिन्न क्षेत्रों की कहानियाँ सुनाना
• छात्रों को भारतीय समाज का सामान्य विवरण देना
• छात्रों को मानवीय भूगोल का सामान्य अध्ययन कराना
माध्यमिक स्तर
• जब व्यक्ति अपने राष्ट्र तक सीमित न रहकर समस्त विश्व को अपना निवास स्थान समझने लगता है इससे ममता
करने लगता है इस मानवता को श्रेष्ठतम वर्त्तियों का क्रीडास्थल बनाने के प्रयास में जुट जाता है तब उसकी भावनाएं
राष्ट्रीयता की परिधि में ना रहकर अंतर्राष्ट्रीयता की गोद में विचरण करने लगती हैं वह विराट, विशाल, व्यापक बन
जाता है|
• अंतरराष्ट्रीय सद्भभवना का तात्पर्य हैं– विश्व बंधुत्व की भावना यह भावना इस बात पर बल देती है कि संसार के
प्रत्येक प्राणी में भाईचारा हो। यह विश्व मैत्री और विश्व बंधुता की भावना पर आधारित है वास्तव में अंतरराष्ट्रीय
सद्भभवना संसार के समस्त नागरिकों के प्रति प्रेम, सहानुभूति और सहयोग की ओर संके त करती है आज विश्व के
किसी भी कोने में घटित होने वाली घटना उस स्थान विशेष से ही संबंधित नहीं होती वरन विश्व को प्रभावित करती
है कोई भी देश है चाहे वह कितना ही समृद्धिशाली एवं विकसित क्यों ना हो, वह किसी-न-किसी रूप में दूसरे देश
पर निर्भर है आज के विश्व की निर्भरता हैं ने अंतरराष्ट्रीय सद्भभवना के विकास में परम आवश्यक बना दिया है|
अंतरराष्ट्रीय सद्भभवना की परिभाषा
डॉक्टर वाल्टर एस.सी.लेव्ज के अनुसार– अंतरराष्ट्रीय सद्भभवना एक ऐसी
योग्यता है जो आलोचनात्मक के रूप से सभी देशों के लोगों के आचार
विचार का निरीक्षण करती है और उन अच्छाइयों की, जिनमें वे अपनी
राष्ट्रीयता एवं संस्कृ ति का ध्यान नहीं रखते, दूसरे से प्रशंसा करते हैं|
• सामान्य उद्देश्य
• लोगों में मानवीय गुणों का विकास किया है जाना अत्यंत आवश्यक है अतः उदार एवं मानवीय
भावनाओं का विकास भी अंतरराष्ट्रीय सद्भभवना की शिक्षा का एक उद्देश्य होना चाहिए
• मानव संस्कृ ति और विश्व नागरिकता के विकास के लिए उनको सभी राष्ट्रों की उपलब्धियों का
मूल्यांकन और आदर करना सिखाया जाए
• उनमें स्वतंत्र विचार, निर्णय, भाषण और लेखन की योग्यता का विकास किया जाए
• छात्रों को विश्व नागरिकता के लिए तैयार करना
• उनको अन्धी और संकीर्ण राष्ट्रीयता का खंडन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए
• उनको विश्व की समस्याओं से परिचित कराया जाए और उनका समाधान करने के लिए
लोकतंत्रय ढंगों को बताया जाए।
यूनेस्को द्वारा प्रतिपादित उद्देश्य