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साखी- कबीर

कबीर दास जी कहते हैं कि हमें प्रेमपूर्वक बात करनी चाहिए| मीठे
वचनों के प्रयोग से सुनने वाले का अहंकार समाप्त हो जाता है और
हमारी बात ध्यान से सुनता है| प्रेम से पूर्ण मिठास भरे शब्दों का प्रयोग
करने पर बोलने वाले का भी मन शांत रहता है और सुनने वाले को
भी अच्छा लगता है| मधुर वाणी के प्रोग से कोई बात बढ़ती नहीं है
और आपसी सम्बन्ध और प्रेम भी बना रहता है|
1. मनुष्य को कै सी वाणी बोलनी चाहिए?

2. मधुर वाणी बोलने से सुनने वाले पर क्या प्रभाव पड़ता है?


कबीर दास जी कहते हैं कि परमात्मा हमारे हृदय में बसे हैं| जिस प्रकार कस्तूरी
मृग अपनी नाभी में मौजूद पदार्थ ‘कस्तूरी से निरंतर निकलती सुगंध का श्रोत
अपने अंदर नहीं खोज पाता और उसकी तलाश में इधर-उधर ही घूमता रहता है,
उसी प्रकार भगवान भी हमारे हृदय में समाए हुए हैं पर संसार के लोग इसे खोज
नहीं पाते क्योंकि वे उन्हें अपने भीतर न खोजकर संसार भर में देवालयों और
तीर्थस्थानों में खोजते रहते है|
1. कस्तूरी का निवास स्थान कहाँ होता है और हिरन कस्तूरी को कहाँ ढूँढता
है?

2. मनुष्य किस तथ्य से अनजान है?


कबीर जी कहते हैं जब इस हृदय में ‘मैं’ अर्थात अहंकार था तब इसमें
परमेश्वर का वास नहीं था| परन्तु अब अहंकार नहीं है तो प्रभु का वास है|
दोनों भावनाएँ एक साथ नहीं रह सकतीं| जब मन में अहंकार होता है तो प्रेम
को स्थान नहीं मिल पाता| अहंकार की भावना कु छ भी सीखने के रुकावट
का काम करती है| परमात्मा रूपी दीपक हृदय में विद्यमान अज्ञानता के
अन्धकार को दूर कर देता है|
1. दीपक किसका प्रतीक है?

2. दीपक दिखाई देने पर अँधियारा कै से मिट जाता है?

3. इस साखी द्वारा हमें क्या संदेश मिलता है?


कबीर जी कहते हैं कि संसार के लोग अज्ञान रूपी अंधकार में डू बे हुए हैं
अपनी मृत्यु आदि से भी अनजान सोये हुये हैं। ये सब देख कर कबीर
दुखी हैं और वे रो रहे हैं। वे प्रभु को पाने की आशा में हमेशा चिंता में
जागते रहते हैं।
1. कबीर दास जी के दुःख का क्या कारण है?

2. संसार खाने और सोने में मस्त क्यों है? यहाँ ‘सोना’ और ‘जागना’
किसका प्रतीक है?

3. संसार में सुखी कौन है और दुखी कौन?


कबीरदास जी कहते हैं कि जब मनुष्य के मन में अपनों के बिछड़ने का
गम साँप बन कर लोटने लगता है तो उस पर न कोई मन्त्र असर
करता है और न ही कोई दवा असर करती है। उसी तरह ईश्वर के
वियोग में मनुष्य जीवित नहीं रह सकता और यदि वह जीवित रहता
भी है तो उसकी स्थिति पागलों जैसी हो जाती है।
1. किस स्थिति में व्यक्ति पर कोई मन्त्र असर नहीं होता?

2. ईश्वर वियोगी की हालत किस प्रकार हो जाती है?


कबीरदास जी कहते हैं कि हमें हमेशा निंदा करने वाले व्यक्तियों को
अपने निकट रखना चाहिए। हो सके तो अपने आँगन में ही उनके लिए
घर बनवा लेना चाहिए अर्थात हमेशा अपने आस पास ही रखना चाहिए।
ताकि हम उनके द्वारा बताई गई हमारी गलतियों को सुधार सकें । इससे
हमारा स्वभाव बिना साबुन और पानी की मदद के ही साफ़ हो जायेगा।
1. कबीर दास जे के अनुसार निंदक का क्या महत्व होता है?

2. हम बिना साबुन और पानी के निर्मल कै से रह सकते हैं?

3. इस साखी द्वारा कवि क्या संदेश देना चाहते हैं?


कबीर जी कहते है कि इस संसार में मोटी-मोटी पुस्तकें (किताबें ) पढ़
कर कई मनुष्य मर गए परन्तु कोई भी मनुष्य पंडित (ज्ञानी ) नहीं बन
सका। यदि किसी व्यक्ति ने ईश्वर प्रेम का एक भी अक्षर पढ़ लिया
होता तो वह पंडित बन जाता अर्थात ईश्वर प्रेम ही एक सच है इसे
जानने वाला ही वास्तविक ज्ञानी है।
1. पोथी शब्द का क्या अर्थ हैं?

2. कबीर के अनुसार कौन ज्ञानी नहीं बन पाया ?

3. कवि के अनुसार पंडित कौन है?

4. ‘एकै अषिर पीव का, पढ़ै सो पंडित होइ’ से कवि क्या


कहना चाहते हैं?
कबीर जी कहते हैं कि उन्होंने अपने हाथों से अपना घर जला दिया है
अर्थात उन्होंने मोह-माया रूपी घर को जला कर ज्ञान प्राप्त कर लिया
है। अब उनके हाथों में जलती हुई मशाल ( लकड़ी ) है यानि ज्ञान है।
अब वे उसका घर जलाएंगे जो उनके साथ चलना चाहता है अर्थात उसे
भी मोह - माया से मुक्त होना होगा जो ज्ञान प्राप्त करना चाहता है।
1.कबीर ने किसका घर जलाकर नष्ट करने की बात की
है?

2.कवि के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने के लिए क्या करना


होगा?

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