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संधि एवं संधि विच्छेद

संधि एवं संधि विच्छेद

संधि एवं संधि विच्छेद का अर्थ

संधि के भेद
संधि एवं संधि विच्छेद

संधि (Joining)
• जिसका अर्थ होता है- मिलना या जोड़ना।

• दो वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार उत्पन्न होता है उसे संधि कहते हैं।

• पहले शब्द की अंतिम ध्वनि/वर्ण और दूसरे शब्द की पहली ध्वनि/वर्ण आपस में मिलकर जो परिवर्तन लाती हैं उसे संधि कहते
हैं।
संधि एवं संधि विच्छेद

उदाहरण

• पुस्तक + आलय

पुस्तकालय

• हिम + आलय

• हिमालय
संधि एवं संधि विच्छेद

संधि विच्छेद का अर्थ

• संधि किये गये शब्दों को अलग-अलग करके पहले की तरह करना ही संधि विच्छेद कहलाता है।

उदाहरण

• पुस्तकालय

• पुस्तक + आलय
संधि एवं संधि विच्छेद

संधि के भेद
1. स्वर संधि

2. व्यंजन संधि

3. विसर्ग संधि
संधि एवं संधि विच्छेद
स्वर सन्धि

• स्वर के साथ स्वर का मेल होने पर जो विकार होता है, उसे स्वर सन्धि कहते हैं।

• जैसे- परम + आत्मा = परमात्मा

• भ्रष्ट + आचार = भ्रष्टाचार

• वधू + उत्सव = वधूत्सव

• विद्या + अर्थी = विद्यार्थी


संधि एवं संधि विच्छेद
स्वर सन्धि के पाँच भेद हैं।

1. दीर्घ संधि

2. गुण सन्धि

3. वृद्धि सन्धि

4. अयादि संधि

5. यण सन्धि
संधि एवं संधि विच्छेद
दीर्घ संधि

• जब दो स्वरों का मेल होता है तो एक दीर्घ स्वर बन जाता है। यही दीर्घ संधि है।

• दोनों ह्रस्व, दोनों दीर्घ, ह्रस्व और दीर्घ, दीर्घ और ह्रस्व

• जैसे- (अ + अ = आ) (इ + इ = ई) (उ + उ = ऊ)

• (अ + आ = आ) (इ + ई = ई) (उ + ऊ = ऊ)

• (आ + अ = आ) (ई + इ = ई) (ऊ + उ = ऊ)

• (आ + आ = आ) (ई + ई = ई) (ऊ + ऊ = ऊ)
संधि एवं संधि विच्छेद
• पुष्प + अवली = पुष्पावली (अ + अ = आ) रवि + इन्द्र = रवीन्द्र (इ + इ = ई)

• कार्य + आलय = कार्यालय (अ + आ = आ) कपि + ईश = कपीश (इ + ई = ई)

• विद्या + अर्थी = विद्यार्थी (आ + अ = आ) नदी + ईश = नदीश (ई + ई = ई)

• महा + आशय = महाशय (आ + अ = आ)

• भानु + उदय = भानूदय (उ + उ = ऊ)

• वधू + उत्सव = वधूत्सव (ऊ + उ = ऊ)


संधि एवं संधि विच्छेद
गुण सन्धि

• जब अ या आ के आगे इ या ई आती है तो दोनों को मिला कर 'ए' हो जाता है।

• (अ + इ = ए) (अ + ई = ए) (आ + इ = ए) (आ + ई = ए)

• उप + इन्द्र = उपेन्द्र (अ + इ = ए)

• भूप + ईश = भूपेश (अ + ई = ए)

• महा + इन्द्र = महेंद्र (आ + इ = ए)

• महा + ईश = महेश (आ + ई = ए)
संधि एवं संधि विच्छेद
• इसी प्रकार जब अ, आ के आगे उ, ऊ आ जाते हैं तो दोनों को ‘ओ’ हो जाता है।

• (अ + उ = ओ) (अ + ऊ = ओ) (आ + उ = ओ) (आ + ऊ = ओ)

• चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय (अ + उ = ओ)

• जल + उर्मि = जलोर्मि (अ + ऊ = ओ)

• महा + उदर = महोदर (आ + उ = ओ)

• गंगा + उर्मि = गंगोर्मि (आ + ऊ = ओ)


संधि एवं संधि विच्छेद
• अ, आ के आगे ऋ आ जाने से ‘अर्’ हो जाता है।

• (अ + ऋ = अर्) (आ + ऋ = अर्)

• देव + ऋषि = देवर्षि (अ + ऋ = अर्)

• महा + ऋषि = महर्षि (आ + ऋ = अर्)


संधि एवं संधि विच्छेद
वृद्धि सन्धि

• अ या आ के आगे ए या ऐ आने पर दोनों का 'ऐ' हो जाता है।

• अ - आ के आगे ओ या औ आने पर दोनों को ‘औ' हो जाता है। जैसे-

• एक + एक = एकै क (अ + ए = ऐ)

• तथा + एव = तथैव ( आ + ए = ऐ)

• परम + औषधि = परमौषधि (अ + औ = औ)


संधि एवं संधि विच्छेद
यण सन्धि

• जब इ, उ, ऋ वर्णों के आगे कोई स्वर आ जाये तो क्रमश य्, व्, र् में परिवर्तित हो जाता हैं। इसे यण सन्धि कहते हैं। जैसे-

• इति + आदि = इत्यादि (इ को य्)

• सु + आगत = स्वागत (उ को व्)

• पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा (ऋ को र्)


संधि एवं संधि विच्छेद
अयादि संधि

• जब ए, ऐ, ओ, औ के आगे कोई स्वर आ जाये तो वे क्रमश अय्, आय्, अव्, आव् में परिवर्तित हो जाते हैं। यह परिवर्तन अयादि
सन्धि कहलाता हैं। जैसे-

• ने + अन = नयन (ए को अय्)

• नै + अक = नायक (ऐ को आय्)

• पो + अन = पवन (ओ को अव्)

• सौ + अन = सावन (औ को आव्)
संधि एवं संधि विच्छेद
व्यंजन सन्धि

• व्यंजन सन्धि में पहले शब्द का अन्तिम वर्ण व्यंजन होता हैं, और दूसरे शब्द का पहला वर्ण स्वर या व्यंजन। दोनों के मेल से
परिवर्तन होता है।

• प्रायः पहले शब्द का अन्तिम वर्ण परिवर्तित हो जाता है।

• जैसे- दिक् + गज = दिग्गज

• व्यंजन सन्धि के निन्म प्रमुख नियम हैं-


संधि एवं संधि विच्छेद
पहला नियम

• यदि स् तथा त् वर्ग (त् थ् द् ध् न्) के आगे क्रमशः श् तथा च् वर्ग (च् छ् ज् झ् ञ्) आवे तो स् के स्थान पर श् तथा त वर्ग के
स्थान पर च वर्ग हो जाता है।

• जैसे- सत् + चित् = सच्चित् (त् को च)


संधि एवं संधि विच्छेद
दूसरा नियम

• यदि क् च् ट् त् प् के बाद कोई स्वर या य र ल व में से कोई आता है। तो वह अक्षर अपने ही वर्ग के तीसरे अक्षर में बदल जाता
है। जैसे-

• दिक् + अम्बर = दिगम्बर (क् को ग)

• जगत् + ईश = जगदीश (त् को द)

• अच् + अंत = अजंत (च् को ज)


संधि एवं संधि विच्छेद
तीसरा नियम

• यदि किसी वर्ग के पहले अक्षर (क, च, ट् त, प्) के बाद न् या म् आवें तो पहला अक्षर अपने वर्ग के पाँचवे अक्षर (ञ् म् ङ् ण् न्)
में बदल जाता है। जैसे-

• वाक् + मय = वाङ्मय (क् को ङ)

• तत् + मय = तन्मय (त् को न्)


संधि एवं संधि विच्छेद
चौथा नियम

• यदि म् के बाद य् र् ल् व् श् ष् स् या ह् आवे तो म् अनुस्वार में परिवर्तित हो जाता है। जैसे-

• सम् + सार = संसार (म् अनुस्वार में)

• सम् + वाद = संवाद (म् अनुस्वार में)


संधि एवं संधि विच्छेद
पांचवा नियम

• यदि त् के बाद ल् आता है तो त् का ल् हो जाता है। जैसे-

• उत् + लेख = उल्लेख (त् को ल् )

• तत् + लीन = तल्लीन (त् को ल्)


संधि एवं संधि विच्छेद
विसर्ग सन्धि

• विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मिलाप से उत्पन्न विकार को विसर्ग संधि कहते हैं।

• निः + रव = नीरव

• निः + रोग = नीरोग

• निः + रस = नीरस

• निः + तार = निस्तार


संधि एवं संधि विच्छेद
पहला नियम

• यदि विसर्ग से पूर्व इ या उ हो और बाद में र आये तो विसर्ग का लोप हो जायेगा और इ और उ दीर्घ ई तथा ऊ हो जायेंगे। जैसे-

• निः + रव = नीरव

• निः + रोग = नीरोग

• निः + रस = नीरस
संधि एवं संधि विच्छेद
दूसरा नियम

• यदि विसर्ग के बाद च -छ, ट-ठ तथा त-थ आयें तो विसर्ग क्रमशः श्, ष् और स् में बदल जाता है। जैसे-

• निः + चय = निश्चय

• दुः + चरित्र = दुश्चरित्र

• निः + छल = निश्छल

• दु: + तर = दुस्तर
संधि एवं संधि विच्छेद
तीसरा नियम

• यदि विसर्ग के आगे श् ष् स् आयें तो वह क्रमश : श् ष् और स् में ही बदल जाता है। जैसे

• दु: + शासन = दुश्शासन

• निः + शब्द = निश्शब्द

• निः + सन्देह = निस्सन्देह


संधि एवं संधि विच्छेद
चौथा नियम

• यदि विसर्ग के पूर्व इ,उ आये और बाद में क,ख या प,फ तो विसर्ग ष में बदल जाता है। जैसे-

• निः + कपट = निष्कपट

• निः + कर्म = निष्कर्म

• निः + फल = निष्फल

• निः + काम = निष्काम


संधि एवं संधि विच्छेद
पाँचवाँ नियम

• यदि विसर्ग से पूर्व 'अ' आये और बाद में य, र, ल, व, या ह हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है। और 'अ' 'ओ' में बदल जाता है।
जैसे-

• मन: + हर = मनोहर

• मनः + रथ = मनोरथ

• मनः + विकार = मनोविकार


संधि एवं संधि विच्छेद
छठा नियम

• यदि विसर्ग के पूर्व अ हो और बाद में क, ख, और प, फ में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता है।
जैसे-

• प्रातः + काल = प्रातः काल

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